आज हम आपको इस पोस्ट में “मिच्छामी दुक्कड़म” के बारेमे बताने ज्या रहे है, जैन धर्म में एक अनोखी दिल को छु लेने वाली प्रथा है जिसमें लोग एक दुसरे को क्षमा मागने के लिए “मिच्छामी दुक्कड़म” शब्द का इस्तेमाल करते है.
लेकिन ये मिच्छामी दुक्कड़म क्या है? (Micchami Dukkadam meaning in Hindi) के बारेमे बहुत सारे लोग जानना चाहते है, आज हम आपको इस पोस्ट में मिच्छामी दुक्कड़म शब्द से जुडी सभी जानकारी देंगे.
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मिच्छामी दुक्कड़म का अर्थ क्या है? (Micchami Dukkadam meaning in Hindi)
हमे भी इस Micchami Dukkadam शब्द का अर्थ पता नही था, लेकिन कुछ हमारे जैन मित्रो की मदत से हमने मिच्छामी दुक्कड़म के बारेमे सभी जानकारी मिल गयी है, जो हम आपको बताने ज्या रहे है.
मिच्छामी दुक्कड़म का शाब्दिक अर्थ है, ‘की मैंने किसी के साथ जो भी बुरा किया है उसके लिए क्षमा मांगना’
मिच्छामी शब्द का अर्थ क्षमा मांगना होता है और दुक्कड़म शब्द का अर्थ बुरा बर्ताव या बुरे कम होता है. अर्थात, “मैंने किसी के साथ कुछ बुरा बर्ताव किया हो तो उसके लिए मुझे क्षमा करे”.
बहुत सारे लोग क्षमा मागने से शर्माते है या फिर उनको क्षमा मानना याने कुछ गलत लगता है, मगर आपको बता दू की क्षमा मागना कोई गलत बात नही है. किसी को अपने बुरे बर्ताव पर क्षमा मांगना है तो वह एक बहुत बड़ी बात मानी ज्याति है.
जैन धर्म में सभी परिवार के सदस्य, दोस्तों और रिश्तेदारों को मिच्छामी दुक्कड़म कहा ज्याता है. ताकि अगर भुलकर भी हमने उनके साथ कुछ बुरा बर्ताव किया हो तो हमे क्षमा कर दीजिये.
कुछ लोग “मिच्छामी दुक्कड़म” को “Sorry” भी कहते है, लेकिन आपको बता दू की Sorry और मिच्छामी दुक्कड़म में बहुत फरक है. क्युकी यह क्षमा ह्रदय से मांगी जाती है, चाहे उसने अपने विचारो में बुरा बर्ताव किया हो तो भी मिच्छामी दुक्कड़म कहके क्षमा मांगी ज्याति है.
मिच्छामी दुक्कड़म क्या है?
आपको तो पता है भारत में सभी धर्मो में अलग अलग रीती-रिवाज मनाये ज्याते है. वैसे ही जैन धर्म में मिच्छामी दुक्कड़म बोलने की एक अनोखी प्रथा है. जैन धर्म में पर्यूषण पर्व नाम का त्यौहार मनाया ज्याता है, इस पर्यूषण पर्व के आखिरी दिन सभी लोगो को एक दुसरे को “मिच्छामी दुक्कड़म” बोलने की परंपरा है.
पर्यूषण पर्व क्या है?
पर्यूषण पर्व, जैन धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है. श्वेताम्बर जैन इसे 8 दिन तक और दिगंबर जैन 10 दिन तक मनाते हैं . इस दौरान लोग पूजा, अर्चना, आरती, समागम, त्याग, तपस्या, उपवास आदि में अधिक से अधिक समय व्यतीत करते हैं .
पर्यूषण पर्व के सम्पति याने आखिरी के दिन क्षमावाणी दिवस मनाया ज्याता है, जिसे मिच्छामी दुक्कड़म नाम से ज्याना ज्याता है.
किसी से क्षमा क्यों मांगी ज्याति है?
हमारे जीवन में हम बहुत सारे अच्छे और बुरे काम करते है, साथ ही हम अपने जीवन काल में किसी से बुरी बात, बुरा बर्ताव करते है. इससे सामने वाली व्यक्ति के मन को बहुत ठेस पहुचती है. अब उनके मन को दिलासा देने के लिए क्षमा मांगी ज्याति है.
लेकिन कुछ लोग अपनी Ego की बजेसे क्षमा नही मागते है, लेकिन आपको क्षमा मांगने से आपको मन को दिलासा मिलती इसीलिए जैन धर्म में Micchami Dukkadam कहके क्षमा मांगी ज्याति है, जैन धर्म में बड़े से लेकर बूढ़े तक सभी लोक एक दुसरे को Micchami Dukkadam कहके क्षमा मागते है.
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Conclusion:-
हमने आपको इस पोस्ट में मिच्छामी दुक्कड़म – क्षमा मांगना | जैन धर्म की दिल को छु नेने वाली परंपरा के बारेमे बताया है. आपको यह पोस्ट कैसी लगी हमे जरुर बताये. हमें Youtube पर सब्सक्राइब जरुर करे.
अगर इस पोस्ट में हमसे कुछ गलती हुई है तो हम आपको मिच्छामी दुक्कड़म करके क्षमा मांगते है. अगर पोस्ट में आपको कुछ दिक्कत आती है तो आप हमे Comment कर सकते है. धन्यवाद….!
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